राजस्थान Switch to English
तपेदिक स्क्रीनिंग हेतु AI एक्स-रे
चर्चा में क्यों?
राजस्थान राज्य स्वास्थ्य विभाग ने क्षय रोग (Tuberculosis) के निदान को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से 29 उन्नत पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों को राज्य में स्थापित किया।
मुख्य बिंदु
- प्रौद्योगिकी: पोर्टेबल एक्स-रे मशीनें कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित प्रणाली के माध्यम से दूरस्थ गाँवों सहित संदिग्ध तपेदिक मामलों की त्वरित पहचान में सक्षम हैं।
- संपर्क: इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण और दूरस्थ समुदायों में तपेदिक के शीघ्र निदान, उपचार तथा प्रभावी प्रबंधन को सुदृढ़ करना है।
- प्राथमिकता: ईंट भट्टों, निर्माण स्थलों, खनन क्षेत्रों, जेलों, छात्रावासों, झुग्गी-झोपड़ियों और अन्य सामूहिक आवासों जैसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों को तपेदिक जाँच के लिये चिह्नित किया गया।
- दृष्टिकोण: स्वास्थ्य विभाग ने तपेदिक के निदान और उपचार में होने वाली देरी को कम करने के लिये सक्रिय केस फाइंडिंग को एक लागत-प्रभावी रणनीति के रूप में अपनाया।
- अवसंरचना: इस पहल के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में मौजूद प्रमुख कमियों, जैसे एक्स-रे उपकरणों की कमी और प्रशिक्षित रेडियोलॉजिस्ट की कमी, को दूर करने का प्रयास किया गया।
- स्क्रीनिंग: संदिग्ध तपेदिक मामलों की पहचान हेतु कंप्यूटर-सहायता प्राप्त पहचान से युक्त उच्च-संवेदनशील डिजिटल चेस्ट एक्स-रे स्क्रीनिंग को अपनाया गया।
- निदान: स्क्रीनिंग में चिह्नित व्यक्तियों को त्वरित पुष्टिकरण निदान तथा उपचार-पूर्व अनुवर्ती कार्रवाई में चूक को कम करने के लिये एक्सपर्ट आणविक परीक्षण से जोड़ा गया।
- स्थापना: राजस्थान के 29 ज़िलों में पोर्टेबल एक्स-रे मशीनें स्थापित की गईं। हाल ही में संचालित स्क्रीनिंग अभियान में लगभग 160 लाख की संवेदनशील आबादी में से 2.3 लाख व्यक्तियों में तपेदिक के लक्षण पाए गए।
- स्थिति: राजस्थान में तपेदिक का प्रकोप अत्यधिक है, जहाँ वर्ष 2024 में 1.7 लाख से अधिक मामले दर्ज किये गए, जबकि जून 2025 तक 89,132 मामले सामने आए।
- लक्ष्य निर्धारण: स्वास्थ्य विभाग ने HIV/एड्स से पीड़ित व्यक्तियों, मधुमेह रोगियों, वरिष्ठ नागरिकों, कुपोषित व्यक्तियों तथा तपेदिक से उबर रहे लोगों जैसे उच्च जोखिम समूहों की जाँच के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता से युक्त एक्स-रे मशीनों के उपयोग की योजना बनाई है।
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RVCF द्वारा इंडिया ग्रोथ फंड लॉन्च
चर्चा में क्यों?
राजस्थान वेंचर कैपिटल फंड ने 150 करोड़ रुपये के कोष और 100 करोड़ रुपये के ग्रीन शू विकल्प के साथ अपना चौथा फंड, इंडिया ग्रोथ फंड IV लॉन्च किया।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य: इस फंड को ऐसे प्री-सीरीज़ ए और सीरीज़ ए टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स में निवेश करने के लिये विकसित किया गया था, जिनके पास स्केलेबल बिज़नेस मॉडल, सुदृढ़ रोज़गार सृजन क्षमता तथा महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव हो।
- क्षेत्र: प्रमुख निवेश क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, कृषि प्रौद्योगिकी, स्वच्छ प्रौद्योगिकी और डिजिटल परिवर्तन शामिल हैं।
- समर्थन: पूंजी के अलावा, राजस्थान वेंचर कैपिटल फंड स्टार्टअप्स को स्थायी रूप से आगे बढ़ने में मदद करने के लिये रणनीतिक मार्गदर्शन, शासन संबंधी सहायता और उद्योग नेटवर्क तक पहुँच प्रदान करेगा।
- दृष्टिकोण: फंड, राजस्थान सरकार की नवाचार-आधारित विकास दृष्टि और स्व-संवर्धित स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने के दीर्घकालिक लक्ष्य के अनुरूप है।
- पारंपरिक योगदान: 23 वर्षों से अधिक के संचालन के साथ, राजस्थान वेंचर कैपिटल फंड ने 44 निवेश किये हैं, जो मुख्य रूप से प्रथम पीढ़ी के उद्यमियों तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों का समर्थन करते हैं।
- प्रतिफल: पहले के दो फंडों को सकारात्मक प्रतिफल के साथ पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया था, जबकि तीसरा फंड विनिवेश के अधीन है और निवेशित राशि के लगभग दोगुने प्रतिफल की संभावना है।
- प्रभाव: कुछ चयनित निवेशों में 20 गुना से अधिक रिटर्न प्राप्त हुआ, पोर्टफोलियो की चार कंपनियों को सार्वजनिक लिस्टिंग प्राप्त हुई और निवेशित उद्यमों ने 10 मिलियन से अधिक ग्राहकों को सेवा प्रदान की तथा 10,000 से अधिक रोज़गार सृजित हुए।
- समावेशिता: वित्त पोषित उद्यमों में से लगभग 66% की स्थापना पहली बार उद्यम करने वाले उद्यमियों द्वारा की गई थी और लगभग एक तिहाई में महिला संस्थापक थीं, जो फंड के समावेशी विकास दृष्टिकोण को उजागर करती है।
वेंचर कैपिटल फंड
- वेंचर कैपिटल फंड निवेश के ऐसे साधन हैं जो निवेशकों को स्टार्ट-अप तथा छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों में पैसा लगाने की अनुमति देते हैं।
- ये फंड मुख्य रूप से उन कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिनमें उच्च विकास क्षमता और पर्याप्त लाभ उत्पन्न करने की क्षमता होती है।
- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (वैकल्पिक निवेश निधि) विनियम, 2012 के तहत, वेंचर कैपिटल फंड को श्रेणी I वैकल्पिक निवेश निधि के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
राज कुमार गोयल मुख्य सूचना आयुक्त नियुक्त
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी राज कुमार गोयल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समक्ष केंद्रीय सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) पद की शपथ ली।
- राज कुमार गोयल ने पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल समरिया का स्थान लिया, जिनके पद छोड़ने के बाद यह पद सितंबर 2025 से रिक्त था।
मुख्य बिंदु
- परिचय: राज कुमार गोयल वर्ष 1990 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी रहे हैं, जो मूल रूप से जम्मू-कश्मीर कैडर के थे। वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद वे अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिज़ोरम और केंद्रशासित प्रदेश (AGMUT) कैडर के सदस्य बन गए।
- अगस्त 2025 में उन्होंने विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग के सचिव पद से सेवानिवृत्ति ली। अपने कार्यकाल के दौरान गोयल ने गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय में भी महत्वपूर्ण सेवाएँ दीं।
- वे अगस्त 2025 में विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग के सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए।
- अपने करियर के दौरान उन्होंने ने गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय में भी अपनी सेवाएँ दी थीं।
- सूचना आयुक्तों की नियुक्ति: ववर्तमान में आनंदी रामलिंगम और विनोद कुमार तिवारी सूचना आयुक्त (IC) के पद पर कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त, जया वर्मा सिन्हा, स्वागत दास, संजीव कुमार जिंदल, सुरेंद्र सिंह मीना तथा खुशवंत सिंह सेठी को सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्ति हेतु अनुशंसित किया गया है।
केंद्रीय सूचना आयोग
- स्थापना: इसकी स्थापना RTI अधिनियम, 2005 के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय (संवैधानिक निकाय नहीं) के रूप में की गई थी।
- संरचना: इस अधिनियम के अनुसार केंद्रीय सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) तथा अधिकतम 10 केंद्रीय सूचना आयुक्त हो सकते हैं।
- नियुक्ति: सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाती है, जिसमें निम्नलिखित शामिल होते हैं:
- प्रधानमंत्री (अध्यक्ष)।
- लोकसभा में विपक्ष के नेता
- प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री।
- पात्रता और छूट: विधि, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता या शासन में अनुभव वाले प्रतिष्ठित व्यक्ति।
- सांसद, विधायक नहीं होना चाहिये, या किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिये।
- किसी राजनीतिक दल से संबद्धता, व्यवसाय या पेशेवर गतिविधि की अनुमति नहीं होती।
- ये पुनर्नियुक्ति के पात्र नहीं हैं।
- CIC की शक्तियाँ: गवाहों को बुलाना, दस्तावेज़ों का निरीक्षण करना, सार्वजनिक अभिलेखों की मांग करना तथा जाँच के लिये समन जारी करना।
- कार्य: इसकी प्राथमिक भूमिका RTI अधिनियम, 2005 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना और नागरिकों के सूचना के अधिकार को बनाए रखना है।
- यह न्यायालय केंद्र सरकार और केंद्रशासित प्रदेशों के कार्यालयों, वित्तीय संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा अन्य संस्थाओं से संबंधित मामलों का समाधान करता है।
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